विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की खास बातें
हर वर्ष 3 मई को 'वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे' के रूप में मनाया जाता है. 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार इस दिवस का आयोजन किया था. जिसके बाद हर वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के लिए एक नई थीम रखी जाती है और इस वर्ष की थीम है ‘Journalism Without Fear or Favour’ यानि 'पत्रकारिता बिना डरे या एहसान के' इससे पहले वर्ष 2019 में प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम 'मीडिया फ़ॉर डेमोक्रेसी थी जिसे 2019 के आम लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर रखा गया था.
क्यों ? मनाया जाता है ‘प्रेस स्वतंत्रता दिवस’
भारत के सर्वोपरी संविधान में अनुच्छेद 19 से 22 तक भारतीय नगरिकों के स्वत्रंता के अधिकारों का विवरण है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी उल्लेख है. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को मानाने का मुख्य उद्देश्य भी प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है साथ ही प्रेस को प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना है. यह दिन प्रेस के सम्मान करने की भी बात करता है. प्रेस स्वतंत्रता दिवस ये भी बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाती है. लेकिन प्रति दिन प्रेस को तरह तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. दुनियाभर में पत्रकारों के बढ़ते हत्याकांड ने पत्रकारिता के क्षेत्र में डर का माहौल बनाया हुए है वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड इसका मुख्य उदाहरण है ऐसे न जाने कितने पत्रकारों ने अपनी जान गवां दी है. कहीं पत्रकारों के साथ मारपीट की जाती है तो कहीं उनके परिवार के सदस्य को मारने की धमकियां तक दी जाती हैं यहां तक मीडिया संगठनों को बंद करने तक के लिए मजबूर किया जाता है . यही वह चीजें हैं जो प्रेस की अभिव्यक्ति की आजादी और स्वतंत्रता में बाधाएं लाती है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए एक पत्रकार अपने कर्तव्यों को पूरा करता है.
भारत में वर्तमान समय में मीडिया के हालात सही नहीं हैं जिस वजह से चौथे स्तंभ पर कई तरह के सवाल खड़े होते है जिसमें सबसे पहला सवाल मीडिया की स्वतंत्रता पर उठाया जाता है और राजनीतिक दखल का आरोप भी लगाया जाता है जिसका असर प्रेस स्वतंत्रता के मुद्दे पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ' की हालिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व प्रेस स्वतंत्रता इंडेक्स में भारत 142वें स्थान पर खिसक गया है. इस बात से ये साफ होता है कि भारत की प्रेस को अपने आप पर काम करने और बहुत कुछ सीखने की जरूरत है साथ ही भारत को नॉर्वे और फिनलैंड जैसे देशों से प्रेस की स्वतंत्रता का सही अर्थ भी समझना होगा तभी भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता इंडेक्स पर अपनी छवि सुधार सकेगा.
Nice article
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