Lockdown 3.0 में राहत, अब जा सकेंगे घर..


  • Lockdown 3.0 में राहत, अब जा सकेंगे घर..
  • रेलवे ने चलाई श्रमिक स्पेशल टे्नें
  • रेलवे के हर चक्कर पर 80 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं
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'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' पर क्यों हो रही है राजनीति?
फोटो सोर्स - गूगल

23 मार्च रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से देशवासियों को आगह किया और समूचे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा जो व्यक्ति जहां है वो वहीं रहें और उसी समय देश में सभी प्रकार की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसके बाद हवाई सेवा और रेलवे को भी प्रतिबंधित कर दिया गया, आपको बता दें की भारत से पहले चीन, इटली, स्पेन, अमेरिका और विश्व के अन्य बड़े देशों में लॉकडाउन जारी है और कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह जूझ रहें है, इसी बीच भारत में लॉकडाउन के पहले चरण के कुछ दिन बीतने के बाद ही देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों, छात्रों, और पर्यटकों की असल परेशानियों की खबरें आना शुरू हो गई. आलम यह हो गया की मजदूर खुद पैदल चल कर अपने घर वापस जाने लगे.

क्या है ?'श्रमिक स्पेशल ट्रेन'

लॉकडाउन में अलग-अलग जगहों पर फंसे लोगों ने अपनी घरवापसी के लिए साथ मिल कर आवाज उठाई, जिसके बाद राज्य सरकारों ने भी अपने राज्य में फंसे मजदूरों और अन्य लोगों का साथ देते हुए उन्हें उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए केंन्द्र सरकार  से बात की और यह बताया की लोगों की संख्या ज्यादा है जिन्हें बिना ट्रैन चलाए वापस नहीं लाया जा सकता, जिसके बाद मोदी सरकार ने ट्रेनों को चलाने की इजाजत दे दी, इसके बाद रेल मंत्रालय ने 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' चलाए जाने का ऐलान किया है.

रेलवे ने राज्यों को स्पष्ट की गाइडलांइस

रेल मंत्रालय की तरफ से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' की विषय वस्तु को लेकर एक गाइडलाइंस लेटर जारी किया गया. जिसमें 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' से जुड़ी सभी जानकारी की सूचना दी गई है, गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि जिस राज्य से यात्रा प्ररांम्भ होगी वहां की सरकारों को यात्रियों का समूह तैयार करना होगा, रेलवे की गाइडलाइंस के तहत एक ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 90 फीसदी से कम नहीं होगी. साथ ही रेलवे ने गाइडलाइंस में यह पूरी तरह स्पष्ट किया है कि जिस भी राज्य में फंसे हुए लोगों के लिए ट्रेन भेजी जाएगी वहां यात्रियों की संख्या तकरीबन 1100 तक होनी चाहिए, जिस भी राज्य से श्रमिक ट्रेन को चलाया जाएगा उस राज्य की सरकार को यात्रियों को खाने के पैकेट्स और पीने के पानी का भी इंतजाम करना होगा, यदि यात्रा 12 घंटे से अधिक समय के लिए होगी तो एक समय का खाना रेलवे की ओर से दिया जाएगा. रेलवे की गाइडलांइल के अनुसार कोविड19 से बचाव के लिए सभी यात्रियों के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेनसिंग बनाए रखना अनिवार्य है. इन सभी बातों का ध्यान राज्य सरकारों को रखना होगा. साथ ही यात्रियों को आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा. रेलवे ने यह भी कहा है कि यदि सुरक्षा से संबंधित नियमों का उल्लंघन होता है तो श्रमिक स्पेशल ट्रेन की सेवा रद्द की जा सकती है. सामान्य तौर पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनको सिर्फ 500 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए चलया जा रहा है.गाइडलांइन के अनुसार जब तक ट्रेन का गंतव्य स्टेशन नहीं आ जाता ट्रेन पूरे रास्ते में कहीं नहीं रुकेगी. रेलवे की तरफ से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लॉकडाउन के तीसरे चरण यानी 3 मई से लेकर 17 मई तक के लिए चलाया गया है. आपको बता दें की अभी तक 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' के यात्रियों से किराये की वसूली को लेकर कोई एक बयान सामने नहीं आया है. जिसके कारण 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' का मुद्दा राजनीतिक गलियारों में पहुंच गया है. जिसके बाद विपक्ष केंन्द्र पर जमकर हमला बोल रहा है.

'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' पर राजनीतिक विवाद

एक तरफ 23 मार्च से पूरे देश में लागू लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में श्रमिक, तीर्थयात्री, पर्यटक और छात्र फंसे हुए है जिनकी घरवापसी के लिए केंन्द की मंजूरी पर रेलवे ने 3 मई से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' को पटरी पर उतारने का ऐलान कर दिया. तो दूसरी तरफ विपक्ष ने श्रमिकों से किराया वसूली के मुद्दे पर केंन्द की आलोचना शुरु कर दी. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जारी किए गए एक बयान में कहा कि सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लागू होने की वजह से देश के मजदूर अपने घर वापस जाने से वंचित रह गए. 1947 के बाद देश ने पहली बार इस तरह का मंजर देखा जब लाखों मजदूर पैदल ही हजारों किमी. चलकर घर जा रहे हैं साथ ही सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि जब हम लोग विदेश में फंसे भारतीयों को बिना किसी खर्च के वापस ला सकते हैं, गुजरात में एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, अगर रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर मुश्किल वक्त में मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं उठा सकता है?  कांग्रेस ने पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सोनिया गांधी के बयान को ट्विट कर जानकारी दी, और कांग्रेस ने फैसला लिया की कांग्रेस सभी जरूरतमंद मजदूरों के रेल टिकट का खर्च उठाएगी. 


जिसके बाद बिहार में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी बिहार के मजदूरों का किराया चुकाने का ऐलान किया. 

इसी बीच कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सोशल मीडिया पर लोगों ने भी केंन्द्र की आलोचना करना शुरु कर दी. इसके बाद केंद्र सरकार को श्रमिकों से किराया वसूली विवाद पर सफाई देनी पड़ी. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने किराये को लेकर उठे विवाद पर कहा हमने कभी भी किसी मजदूर से किराया लेने की बात नहीं कही. किराये का 85% केंद्र सरकार और 15% राज्य सरकार से वसूला जाएगा. रेलवे और राज्य सरकारों ने आपस में विचार विमर्श करने के बाद ट्रेनें चलाने का फैसला किया था जिसके बाद लगातार नए-नए बयान सामने आने लगे.

'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' विवाद पर रेलवे मंत्रालय की सफाई

रेलवे मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा की भारतीय रेलवे प्रवासी मजदूरों के टिकट के लिए सामान्य चार्ज वसूल रहा है.वो भी राज्य सरकार से सिर्फ 15 फीसदी ही लिए जा रहा हैं. रेलवे ने न्यूज ऐजेंन्सी एएनआई को बताते हुए कहा की रेलवे की ओर से कोई टिकट नहीं बेची जा रही है सिर्फ उन्हीं यात्रियों को ट्रेनों में बैठाया जा रहा है जिनकी जानकारी राज्य सरकारें दे रही हैं.

गौरतलब है कि रेलवे ने 3 मई से अब तक 67 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये करीब 67,000 कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है. मंगलवार को 21 और ट्रेनों को चलाया गया जो मुख्य रूप से बेंगलुरु, सूरत, साबरमती, जालंधर, कोटा और एर्नाकुलम से चलाई गई हैं. रेलवे ने हालांकि आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है कि इन सेवाओं पर कितना खर्च किया है, लेकिन सरकार का कहना है कि इस खर्च को राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में साझा किया गया है.




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